Premchand Biography In Hindi: प्रेमचंद जीवनी हिंदी में

प्रेमचंद जीवनी (Premchand Biography In Hindi)
‘प्रेमचंद’ Premchand Biography In Hindi एक ऐसा नाम जिसने हिंदी भासा को एक अलग पहचान दिलाई ,भला प्रेमचंद जी के बारे में आज कौन नहीं जनता। बचपन से हिंदी में प्रेमचंद की कहानियां पढ़ कर बड़े हुए। बच्चो से लेकर बड़े बुजुर्ग तक प्रेमचंद की कहानियां और साहित्य के दीवाने है। प्रेमचंद जी के लिखावट में वो कला और शैली है जो लोगो को अपने पास खींच ही लाती है। आप इनके लिखे गए किसी भी कहानी या उपन्यास को पढ़ ले आप का मन लग जायेगा। बचपन में हमने इनके बहुत सारे कहानी अथवा उपन्यास अपने स्कूल में पढ़े है। प्रेमचंद द्वारा लिखे गए हर एक कहानी एक अलग शिक्षा और सिख देती है। प्रेमचंद की कहानियां और उपन्यास आज भी लोगो के दिलो पर राज़ कर रहा है। आज भी लोग उनके लिखे हिंदी अथवा उर्दू उपन्यासों को पढ़ते है और उनसे कुछ सीखते है। प्रेमचद जी द्वारा लिखी गयी उपन्यास पर हिंदी में टेलीविज़न पर नाटक भी दिखाया गया है। अपने सबसे पुराने राष्ट्रीय चैनल पर इसका प्रसारण किया गया था ,जिसे लोगो ने अच्छा प्यार दिया और मन लगा के देखा। यदि आप अभी भी अपने पुराने बीते जीवन को याद करना चाहते है और अपने गाँव के दिनों की सारी बाते याद करना चाहते है। तो आप को प्रेमचंद जी द्वारा लिखे उपन्यास को जरूर पढ़ना चहिये।
प्रेमचंद का जीवन परिचय (Premchand Ka Jivan Parichay) :-
पूरा नाम (Full Name) | धनपत राय श्रीवास्तव |
पिता का नाम (Father Name) | मुंशी अजायबराय |
मां का नाम (Mother Name) | आनन्दी देवी |
जन्म तिथि (Date Of Birth) | 31 जुलाई 1880 |
जन्म स्थान (Birth Place) | वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
गृहनगर (Hometown) | वाराणसी, उत्तर प्रदेश |
शिक्षा (Education) | कला स्नातक |
राष्ट्रीयता (Nationality) | भारतीय |
धर्म (Religion) | हिन्दू धर्म |
पेशा (Profession) | उपन्यासकार, कहानीकार एवं विचारक |
भाषा (Language) | हिंदी ,उर्दू ,फारसी |
मौत की तिथि (Death Date) | 8 अक्टूबर 1936 |
प्रेमचंद जीवनी विस्तार में (Premchand Biography In Hindi In Details)
जैसा की आप लोग ऊपर के विषयसूची में पढ़ लिए होंगे प्रेमचंद जी के बारे में , लेकिन कुछ बाते है जिन्हे आप को विस्तार से बताने की जरुरत है। प्रेमचंद का जन्म लमही नमक गाँव में हुआ था, उनके पिता जी डाक घर में मुन्सी थे। बचपन से ही प्रेमचंद जी को लिखने पढ़ने के सौखीन थे। लेकिन उनका जीवन काफी संघर्स के साथ बिता, बचपन में उनकी माँ गुजर गयी। माँ के गुजरने के बाद घर को चलाने वाला कोई नहीं था जिसके कारण मात्र पंद्रह वर्ष की आयु में प्रेमचंद जी की शादी करनी पड़ी। शादी होने के मात्र एक शाल बाद प्रेमचंद जी को अपने पिता को भी खोना पड़ा। शादी होने के बाद भी प्रेमचंद जी ने अपनी शिक्षा को बरकार रखा और बचपन की उनकी पढाई फारसी भाषा में हुई।
प्रेमचंद बचपन से दुखो को झेलते हुए बड़े हुए और बड़े होने पर भी दुःख ने उनका साथ नहीं छोड़ा। प्रेमचंद जी की पत्नी ने भी उनका साथ ज्यादा दिन तक नहीं दिया और उनका देहांत हो गया। प्रेमचंद जी पूरी तरह टूट चुके थे और अपनी जीवन संगिनी की तलाश में उन्होंने दूसरी शादी कर ली। प्रेमचंद जी की पत्नी का नाम शिवरानी देवी था जो की प्रेमचंद जी की दूसरी पत्नी थी। शिवरानी देवी को भी लिखना बहुत पसंद था, उन्होंने प्रेमचंद जी के साथ मिल कर प्रेमचंद घर में नामक पुस्तक भी लिखी। बचपन से ही पढाई लिखाई के प्रति लगाव ने प्रेमचंद जी को बांधे रखा। शादी होने के बावजूद उन्होंने अपनी पढाई को जारी रखा, मेट्रिक पास होने के बाद उन्होंने इंग्लिश, दर्शनशास्त्र, फारसी विषयो का चुनाव किया और अपना इंटर पूरा किया। आगे चल कल उन्होंने इतिहास से कला स्नातक की डिग्री ली।
डिग्री पूरा होने के बाद प्रेमचंद जी को सरकारी नौकरी हाथ लगी परन्तु प्रेमचंद जी का मन उसमे नहीं लगा और उन्होंने नौकरी छोड़ने का फैसला किया। उसके बाद से प्रेमचंद जी ने अपने जीवन के मोड़ को बदल दिया और पुरे सिद्दत से लेखन को अपना पेसा बना लिया। उसके बाद प्रेमचंद जी ने कई सारे पत्रिका में संपादन पद पर काम किया।
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प्रेमचंद जी का साहित्यिक परिचय
प्रेमचंद जी के साहित्यिक जीवन का आरम्भ नवाब राय के नाम से हुआ था। 1901 में प्रेमचंद जी ने उर्दू में लिखना शुरू किया था। प्रेमचंद जी की पहली रचना कुछ कारण वस प्रकाशित नहीं हो पाई थी। फिर बाद में उन्होंने दूसरा लेख लिखा जिसका नाम ‘असरारे मआबिद ‘ था जो की उर्दू में धारावाहिक के रूप में प्रकाशित हुआ था। आगे चल कर लोगो के मांग को देखते हुए इसे हिंदी में बनाया गया जिसको ‘देवस्थान रहस्य ‘ नाम दिया गया। अब बात करे उनके दूसरे लेखन के बारे में तो आप को बता दे की उनके दूसरे लेख का नाम ‘हमखुर्मा व हमसवाब ‘ था जो की 1907 में लोगो के बीच आया। देश भक्ति की भावना से प्रेरित प्रेमचंद जी ने अपना पहला कहानी संग्रह प्रकाशित किया जिसका नाम सोजे वतन था। जोकि आगे चल कर अंग्रेजो द्वारा इस प्रकाशन पर प्रतिबद्ध लगा दिया गया। इस प्रकाशन ने अंग्रेजो में खलबली मचा दी थी जिसके चलते उनको प्रकाशन नाम नवाब राय को बदल कर प्रेमचंद के नाम से लिखना पड़ा।
प्रेमचंद नाम लोगो के बीच आया और अपना एक पहचान बनाया, प्रेमचंद जी ने अपने इस नाम से अपना पहला प्रकाशन ‘बड़े घर की बेटी ‘ नामक कहानी से शुरुआत की। प्रेमचंद जी के इस नाम ने उनको और ज्यादा लोगो की बीच बांध दिया और उन्होंने लिखना नहीं छोड़ा। प्रेमचंद जी द्वारा लिखी गयी पहली कहानी जो की उस समय के प्रसिद्ध पत्रिका सरस्वती में ‘सौत ‘ नाम से प्रकाशित हुई। प्रेमचंद जी ने तो उर्दू भाषा में तो अपना छाप छोड़ दिया था। अब उनकी बारी थी हिंदी भाषा में कुछ करने का, तो उनकी पहली हिंदी उपन्यास ‘सेवासदन ‘ 1918 में प्रकाशित हुयी। इस प्रकाशन ने मानो प्रेमचन्द जी के जीवन में सराहने की एक लाइन सी लगा दी। उन्होंने आगे चल कर हिंदी में काफी कहानी और उपन्यास लिखे। प्रेमचंद जी ने हिंदी फिल्मो के लिए भी लिखा 1934 में ‘मजदुर ‘ नमक हिंदी फिल्म की कहानी लिखी थी।
मुंशी प्रेमचंद की कहानियाँ और उपन्यास
प्रेमचंद जी ने लगभग 300 से भी ज्यादा कहानी लिखी और दर्जनों उपन्यास लिखा। इसी लिए प्रेमचंद जी को कलम का जादूगर भी कहा जाता है। चलिए बात करते है प्रेमचंद जी के कहानियो के सूचि के बारे में जो की निचे दिया गया है:-
प्रेमचंद की कहानियां
प्रेमचंद की कहानियां जो आप सब ने सुना होगा उनकी कुछ सूचि मैं आप को देता हु:-
- अन्धेर
- अनाथ लड़की
- अपनी करनी
- अमृत
- अलग्योझा
- आखिरी तोहफ़ा
- आखिरी मंजिल
- आत्म-संगीत
- आत्माराम
- दो बैलों की कथा
- आल्हा
- इज्जत का खून
- इस्तीफा
- ईदगाह
- ईश्वरीय न्याय
- उद्धार
- एक आँच की कसर
- एक्ट्रेस
- कप्तान साहब
- कर्मों का फल
- क्रिकेट मैच
- कवच
- कातिल
- कोई दुख न हो तो बकरी खरीद ला
- कौशल़
- खुदी
- गैरत की कटार
- गुल्ली डण्डा
- घमण्ड का पुतला
- ज्योति
- जेल
- जुलूस
- झाँकी
- ठाकुर का कुआँ
- तेंतर
- त्रिया-चरित्र
- तांगेवाले की बड़
- तिरसूल
- दण्ड
- दुर्गा का मन्दिर
- देवी
- दूसरी शादी
- दिल की रानी
- दो सखियाँ
- धिक्कार
- नेउर
- नेकी
- नबी का नीति-निर्वाह
- नरक का मार्ग
- नैराश्य
- नशा
- नसीहतों का दफ्तर
- नाग-पूजा
- नादान दोस्त
- निर्वासन
- पंच परमेश्वर
- पत्नी से पति
- पुत्र-प्रेम
- पैपुजी
- प्रतिशोध
- प्रेम-सूत्र
- पर्वत-यात्रा
- प्रायश्चित
- परीक्षा
- पूस की रात
- बैंक का दिवाला
- बेटोंवाली विधवा
- बड़े घर की बेटी
- बड़े बाबू
- बड़े भाई साहब
- बन्द दरवाजा
- बाँका जमींदार
- बोहनी
- मैकू
- मन्त्र
- मन्दिर और मस्जिद
- मनावन
- मुबारक बीमारी
- ममता
- माँ
- माता का ह्रदय
- मिलाप
- मोटेराम जी शास्त्री
- र्स्वग की देवी
- राजहठ
- राष्ट्र का सेवक
- लैला
- वफ़ा का खजर
- वासना की कड़ियां
- विजय
- विश्वास
- शंखनाद
- शूद्र
- शराब की दुकान
- शान्ति
- शादी की वजह
- स्त्री और पुरूष
- स्वर्ग की देवी
- स्वांग
- सभ्यता का रहस्य
- समर यात्रा
- समस्या
- सैलानी बन्दर
- स्वामिनी
- सिर्फ एक आवाज
- सोहाग का शव
- सौत
- होली की छुट्टी
- नमक का दरोगा
- गृह-दाह
- सवा सेर गेहूँ नमक का दरोगा
- दूध का दाम
- मुक्तिधन
- कफ़न
प्रेमचंद की उपन्यास
- असरारे मआबिद
- हमखुर्मा व हमसवाब
- किशना
- रूठी रानी
- जलवए ईसार
- सेवासदन
- प्रेमाश्रम
- रंगभूमि
- निर्मला
- कायाकल्प
- अहंकार
- प्रतिज्ञा
- गबन
- कर्मभूमि
- गोदान
- मंगलसूत्र
प्रेमचंद का हिंदी साहित्य में योगदान
प्रेमचंद जी का हिंदी साहित्य में बहुत बड़ा योगदान रहा है। प्रेमचंद जी ने लोगो को उपन्यास और कहानी के माध्यम से बहुत बड़ा उपहार दिया है। आज भी लोग उनकी यादो में उनके लिखे गए लेखो अथवा उपन्यासों को पढ़ते है। पुराने ज़माने से चला आ रहा इनके लिखे गए कथन को आज भी स्कूल में पढ़ाया जाता है। प्रेमचंद जी ने हिंदी भाषा में लगभग 300 से भी ज्यादा कहानी लिखी है। हिंदी भाषा को बढ़ावा देने के लिए प्रेमचंद जी ने हिंदी में लिखना शुरू किया था। प्रेमचंद जी हिंदी साहित्य के रूप में अंग्रेजो के ज़माने से लिखते आ रहे थे। हांलाकि उनके पास सरकारी नौकरी भी थी परन्तु उन्होंने उसे त्याग दिया और अपने हिंदी साहित्य के लिए लिखते रहे। उन्होंने सबसे पहले मर्यादा नामक पत्रिका का संपादन किया। बाद में उन्होंने ने माधुरी नामक पत्रिका का संपादन किया जो काफी साल तक चला। 1925 में उन्होंने रंगभूमि नामक उपन्यास लिखा जो की बहुत ही ज्यादा सराहनीय रहा जिसके लिए प्रेमचंद जी को मंगलप्रसाद पारितोषिक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। 1920 से लेकर 1936 तक प्रेमचंद जी ने अपने जीवन काल में हर साल दर्जनों कहानी लिखी थी। यहाँ तक की प्रेमचंद जी के मरने के बाद भी उनका एक कहानी प्रकाशित हुआ जिसका नाम ‘मानसरोवर ‘है।
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प्रेमचंद किस नाम से मशहूर है?
प्रेमचंद जी मुंशी प्रेमचंद के नाम से मशहूर है।
प्रेमचंद की पढ़ाई किस कक्षा तक हो पाई थी?
प्रेमचंद जी ने इतिहास से कला स्नातक में डिग्री ली।
प्रेमचंद का जन्म कहां और कब हुआ था?
प्रेमचंद का जन्म वाराणसी में 31 जुलाई 1880 को हुआ था।
मुंशी प्रेमचंद की मृत्यु कब हुई थी?
8 October 1936 को
प्रेमचंद की पहली कहानी कौन सी है?
प्रेमचंद की पहली कहानी ‘बड़े घर की बेटी ‘ है।
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