कहा से तलाश करोगी मेरे जैसा सख्श,    जो तुम्हारे सितम भी सहे और तुमसे मोहब्बत भी करे।

    बस आखरी सांस बाकी है,    तुम आती हो या मैं ले लू।

तू याद कर या भूल जा,    तू याद है ये याद रख।

वो रोइ जरूर होगी खाली कागज़ देख कर, ज़िन्दगी कैसी बीत रही है पूछा था उसने।

    मेरा कत्ल करने की उसकी साजीश तो देखो,    करीब से गुज़री तो चेहरे से पर्दा हटा लिया।

जिंदगी यूं ही बहुत कम है मोहब्बत के लिए, रूठ कर वक़्त गवाने की ज़रुरत क्या है।

    जीने की तमन्ना तो बहुत है,    पर कोई आता ही नहीं ज़िन्दगी में ज़िन्दगी बन कर।

    मुझ से नाराज है तो छोड़ दे तनहा मुझको,    ए ज़िन्दगी, मुझे रोज़ रोज़ तमाशा न बनाया कर।

    बहुत अंदर तक तबाही मचा देता है,    वो अश्क जो आँख से बह नहीं पाता।

शुक्र करो कि हम दर्द सहते हैं, लिखते नहीं, वरना कागजों पर लफ़्ज़ों के जनाज़े उठते।