जिनका मिलना मुकद्दर में लिखा नहीं होता,
उनसे मोहब्बत कसम से बा-कमाल होती है।
दिल से पूछो तो आज भी तुम मेरे ही हो,
ये ओर बात है कि किस्मत दगा कर गयी।
हम उनकी हर ख्वाहिश
पूरी करने का वादा कर बैठे,
हमें क्या पता था, हमें छोड़ना ही एक ख्वाहिश थी।
बहुत खास थे कभी, नजरों में किसी के हम भी,
मगर नजरों के तकाज़े, बदलने में देर कहाँ लगती है।
बताओ है कि नहीं मेरे ख्वाब झूठे,
कि जब भी देखा तुझे अपने साथ देखा।
ना वो मिलती है, ना मैं रुकता हूँ,
पता नहीं रास्ता गलत है या मंजिल।
गीली लकड़ी सा इश्क़ तुमने सुलगाया है,
न पूरा जल पाया कभी न ही बुझ पाया है।
हर बात पे रंजिशें हर बात पे हिसाब,
शायद मैंने इश्क नहीं, नौकरी कर ली।
बदलेंगे नहीं जज़्बात मेरे तारीखों की तरह,
बेपनाह इश्क़ करने की ख्वाहिश रहेगी उम्र भर।
जब मिलो किसी से तो जरा दूर का रिश्ता रखना,
बहुत तड़पाते हैं अक्सर सीने से लगाने वाले।